उड़ान
Published in
Jan 14, 2021
कपास के धागों में भरे रंगों के अंदर सुस्ताते हुए परिंदे,
कहीं गाने के सुरो में लिपट गुनगुनाते फिरते,
तो कहीं कैमरे की विशाल दुनिया में एक और पल कैद करते,
कुछ किताबो की अंतहीन धारा में बह गए ,
लेकिन अभी भी कुछ मुंफरीद इंसानी परिंदे अपने बनाये खयाली नक्शो पे चल रहे है ,
इन परिंदो की उड़ान बस थोड़ी ऊँची है।।
-Kanupriya